📰 दिल्ली ब्ला-स्ट केस: बेकसूर साबित हुए डॉक्टर फारूक, रिहाई पर मीडिया की चुप्पी
दिल्ली ब्ला-स्ट मामले में हापुड़ के जी.एस. मेडिकल कॉलेज से हिरासत में लिए गए डॉक्टर फारूक को दिल्ली पुलिस ने चार दिन की लंबी पूछताछ के बाद छोड़ दिया है।
पुलिस को उनके खिलाफ ब्लास्ट के किसी भी आरोपी से संबंध होने का कोई सबूत नहीं मिला।
तस्वीर का दूसरा रुख: मीडिया ट्रायल का असर
जब हिरासत में लिया गया: तमाम न्यूज़ चैनलों ने उन्हें "दहशतगर्द" (आतंकवादी), "शैतान" जैसे शब्दों से संबोधित करते हुए प्रमुखता से खबरें चलाईं।
जब रिहा हुए: उनकी रिहाई पर अभी तक किसी भी न्यूज़ चैनल ने एक खबर तक नहीं चलाई है, जिससे मीडिया की चुप्पी साफ दिखती है।
मीडिया ट्रायल एक नहीं, बल्कि हजारों घरों को बर्बाद कर देता है। दिल्ली ब्लास्ट मामले में भी यही देखा जा सकता है: हिरासत में लिए गए तो "दहशतगर्द", और जब बेकसूर साबित कर छोड़ दिया गया तो कोई खबर नहीं!
इस खबर की प्रचार और प्रसार करना आवश्यक है ताकि मीडिया ट्रायल के गलत प्रभाव और निर्दोष व्यक्ति को हुई पीड़ा उजागर हो सके।
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